आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के राजधानी को लेकर दी गई जजमेंट पर सुप्रीम कोर्ट जाने का इरादा - मंत्रीगण

आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के राजधानी को लेकर दी गई जजमेंट पर सुप्रीम कोर्ट जाने का इरादा - मंत्रीगण

आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के  राजधानी को लेकर दी गई जजमेंट पर सुप्रीम कोर्ट जाने का इरादा - मंत्रीगण

आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के राजधानी को लेकर दी गई जजमेंट पर सुप्रीम कोर्ट जाने का इरादा - मंत्रीग

 ( अर्थ प्रकाश/ बोम्मा रेडड्डी )

अमरावती ::  (आंध्र प्रदेश ) आंध्र प्रदेश की राजधानी को लेकर प्रदेश गृह मंत्री श्री मेकतोटी सुचारिता और अनेक मंत्रियों ने उस पर टिप्पणी चाहा गया तो उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश की हाई कोर्ट द्वारा दी गई सैकड़ों पेज की जजमेंट को पूरा कानूनी प्रक्रिया के तहत जनहित को समझते हुए और जनहित में कार्य करते हुए आगे का निर्णय लिया जाएगा कहा  

उन्होंने आगे कहते हुए जवाब दिया कि वह फैसले पर गौर करेगा और अगले प्रदेश में तीन राजधानियों विकेंद्रीकरण विकास पर हमारी बहस थी इसका मतलब यह नहीं है कि तीन राजधानियां होंगे तीन विधानसभा होंगे तीन सचिवालय होगी हमारा उद्देश्य यह था उधर  तमिलनाडु बॉर्डर से इधर उड़ीसा के बॉर्डर तक इस लंबी आंध्रप्रदेश के लिए हर क्षेत्र को सम विकास करने के लिए न्याय वा समअधिकार हर व्यक्ति को पहुंचाने के लिए विकेंद्रीकरण की विकास चाहते थे कुछ मीडिया ने इसे गलत ढंग से प्रस्तुत करने का बहुत ज्यादा प्रयास किया खैर जो भी हो कोर्ट ने जो न्याय देना था उसे आदर करते हैं अगर उससे भी हटकर हमें जनहित में जाना है तो हम सुप्रीम कोर्ट में दरवाजा खटखटा एंगे कहा 

क्योंकि हमें जनता ने चुना है और जनता को हमें न्याय देना है ना की किसी ठेकेदार को किसी भूस्वामी को कम कीमत में जमीन लूट कर किसी रियल स्टेट बिल्डर को कमाने के लिए राजधानी घोषित करके उन किसानों की खुशबू खून पसीने की कमाई को हम अपना कमाई नहीं मानते हैं इसलिए हम सम विकास के साथ-साथ राजधानी अमरावती को रखते हुए हम तीनों क्षेत्र का विकास चाहते थे लेकिन इसे मीडिया में बहुत गलत प्रस्तुति का परिणाम इस तरह का आभास हुआ और अब हम आगे की कार्रवाई के लिए प्रयासरत हैं कहा 

 दूसरी ओर, गृह मंत्री सुचरिता ने कहा कि एपी के गृह मंत्री सीआरडीए अधिनियम पर उच्च न्यायालय के  इस नवीनतम फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट अवश्य जाएंगे कहा  
  टिप्पणी मैं कहा कि विकास और विकेंद्रीकरण के लिए हम  प्रतिबद्ध है।  क्योंकि आंध्र प्रदेश का विभाजन किस तरह से हुआ है वह सभी लोग देख चुके हैं लोकसभा के चारों दरवाजे बंद करके सारे रिकॉर्डिंग सिस्टम को बंद कर के विभाजन की प्रक्रिया चलाई गई थी क्या वह नया आए है या अन्याय है यह सब जनता देख चुकी है और समझती है उसके बाद आंध्रप्रदेश को दी जाने वाली विशेष अधिकार को भी जनता जानती है अभिवादन होने के बाद राजधानी का निर्माण कैसा हुआ यह भी जानती है शिव रामकृष्णन कमेटी ने आंध्रप्रदेश की अमरावती क्षेत्र में राजधानी निर्माण के लिए कई टिप्पणियां किया था और शिव रामकृष्णन कमेटी की रिपोर्ट उस समय की तेलुगु देशम सरकार ने आम जनता को नहीं दिखाया ना ही उसके बारे में कोई सूचना दी अनाप-शनाप से अमरावती को प्रभावित होने का भी ईशारा किया था  

अमरावती जैसे तीन फसल वालों की भूमि में कंक्रीट के जंगल बनाने से अच्छा है इसे दोनाकोंडा क्षेत्र में सरकारी भूमि 3000 एकड़ सुरक्षित रखा था वहां बनाने का शिव रामकृष्णन कमेटी ने इशारा किया अपने रिपोर्ट में भी यह बात लिखा था

 और वहां मैं राजधानी निर्माण के बाद पेयजल की व्यवस्था के लिए कृष्णा से लिफ्ट सिस्टम से पानी को पहुंचाने का सुझाव दिया था क्योंकि वहां का जमीन कठोर और राजधानी के निर्माण के लायक कहा  है और वहां कितने भी मंजिल मकान बनाया जा सकता है कहा जबकि अमरावती क्षेत्र में बालू और काली मिट्टी की जमीन वाह लचकदार भूमि है यहां 6 मंजिल से ज्यादा बड़े मकान बनाएंगे तो पूरी भवनों में दरारे आकर गिर जाने संभावना पर भी बताया था इतना ही नहीं इस क्षेत्र के किसानों की भूमि को राजधानी घोषित होने से पहले लगभग 6 महीने 1 साल के अंदर हजारों एकड़ भूमि की रजिस्ट्री हुई थी और उसकी एक गोपनीय तरीके से इस भूमि की पंजीयन कराने का भी जांच एजेंसी ने सरकार को इंगित किया था इसके अलावा उस समय की तेलुगू देशम सरकार के कार्यवाहक मुख्यमंत्री हाईकोर्ट के सारे जजों को लगभग 13 जजों को जमीन रजिस्ट्री किया गया था जो भी विधि विधान से नहीं था यह काम इसलिए किया गया क्योंकि न्यायपालिका का सहयोग मिलेगा यह संभावना भी बनी रहती थी इस पर भी जांच एजेंसी ने एक गोपनीय रिपोर्ट सरकार को दिया है  इन परिस्थितियों को देखते हुए कई स्थानों प्रदेश के राजनीतिक पार्टियों ने आवाज उठाया कि आंध्र प्रदेश की अमरावती राजधानी एक जाति वर्ग विशेष के लोगों द्वारा खरीदी गई हजारों एकड़ की भूमि में एक बहुत बड़ा भ्रष्टाचार है इसलिए यहां राजधानी बनाना उचित नहीं है

 उस समय जब किसानों से जबरन जमीन को हड़प आ गया इस तरह के कई मामले कोर्ट में पेंडिंग है लेकिन उन पर कोई ठोस कार्यवाही इस जजमेंट में दिख नहीं रही है कहा आंध्र प्रदेश की तेलुगु जनता पार्टी पदम शेट्टी वेंकटेश्वर राव ने कहा कि अमरावती राजधानी घोषित कर एक जाति विशेष वालों को ही फायदा पहुंचाने के लिए चंद्रबाबू ने कई हथकंडे अपनाए और जिसमें अपने साथ-साथ न्यायपालिका को भी बदनाम करने के लिए उनको न्यायाधीशों को भी जमीन बेंच दिया था  और जिस क्षेत्र में भूमि पर राजधानी बनना है उसे यह नहीं पता था कि उसको शासन द्वारा दी जाने वाली कुछ दुकानें और एलॉटमेंट वह कहां दी जा रही है अभी तक उसकी घोषणा नहीं हुई है और 3 साल के अंदर विकास करके उनको देने की बात कही गई वह भी पूरी नहीं हुई और उस समय राजधानी निर्माण करते समय टेंपरेरी सचिवालय टेंपरेरी हाईकोर्ट टेंपरेरी शासकीय भवनों और किराए के मकानों लेकर चला रहे थे इसलिए अगला कार्यवाही लेते हुए शिव रामकृष्णन कमेटी द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर नई सरकार ने दूसरे जगह राजधानी बनाने की एक कोशिश किया था उस कोशिश के ऊपर अब हाईकोर्ट द्वारा दी गई ताजा जजमेंट को पूरी तरह समझने के बाद इसको सुप्रीम कोर्ट ले जाने का निर्णय बना लिया

इस मामले में सबसे बड़ा ध्यान देने की बात यह है कि आंध्र प्रदेश का विभाजन की प्रक्रिया लोकसभा में जो हुई थी उस दिन वह सरासर गलत है और गलत तरीका है कहते हुए कई सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट में शिकायत किया वह शिकायत की प्रक्रिया लंबित रखते हुए इस तरह के निर्णय को लेना गलत है इसके अलावा आंध्र प्रदेश की राजधानी का कहां निर्माण होगा वह आंध्र प्रदेश सरकार का मामला है वह खुद तय करेगा हमारा इसमें कोई जोखिम नहीं रहेगा कहते हुए लोकसभा में कई बार केंद्र सरकार कह चुकी है केंद्र सरकार कहने के बाद हाईकोर्ट राजधानी हटाने का अधिकार नहीं है यह कैसा कह सकता है यह भी प्रश्न आम चर्चा का विषय बना हुआ है 

 हम इस मामला को लेकर सुप्रीम कोर्ट में तलब करेंगे कहा
     तेलुगू जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि हम इस एक पक्षीय निर्णय का भरपूर विरोध करेंगे और इसमें रायलसीमा और विशाखापट्टनम के लोग भी हम तत्काल ही एक बैठक का आयोजन करके इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से तलब करने की बात कही

 पदम शेट्टी वेंकटेश्वर राव ने आगे कहा कि वर्तमान अमरावती  कृष्णा नदी में जब उफान में बाढ आती है  तब कर्नाटक तटीय राज्य में ज्यादा बारिश होती है तब वर्तमान प्रस्तावित अमरावती के इर्द-गिर्द राजधानी क्षेत्र में बाढ का पानी भर जाता है इस डुबान के मामले में सभी जानते भी हैं  इसके अलावा ऊपरी क्षेत्र इलाके में  3 - 3 बड़े बांध बने हुवे हैं अगर  वहाँ उन बांधों में सीमा से ज्यादा पानी बरसता होती है अनहोनी कोई बांध को चोट पहुंचता है उस स्थिति में है 

अमरावती क्षेत्र भयंकर बाढ़ का प्रभावित ही नहीं रहने की संभावना को भी शिव रामाकृष्णन कमेटी ने कमेंट किया है  अमरावती के ऊपर शिव रामकृष्णन कमेटी की रिपोर्ट पर जजमेंट में क्या दिया है इसे भी हम एक बार बारीकी से कानूनन प्रक्रिया के तहत पढ़कर हम सुप्रीम कोर्ट में तलब करेंगे कहा 
एक और ध्यान देने की बात यह है इस राजधानी क्षेत्र को 2000 एकड़ के अंदर निर्मित करने का राष्ट्रपति अनुमोदन था जबकि 33000 से लेकर 39000 एकड़ भूमि को एक कानूनी प्रक्रिया सीआर डी ऐ जैसे संस्थान को विधानसभा में बनाकर उस संस्था में कई सेवानिवृत्त अधिकारियों की नियुक्ति कर जिला कलेक्टरों के इससे भी ज्यादा उन्हें अधिकार देकर किसानों से जबरन भूमि हस्तांतरण करने की प्रक्रिया भी अखबारों में चर्चित रहा 

 उसे प्राइवेट व्यापार के माध्यम से विकास करने की योजना थी उसका सीमा सीमा सही किसानों को पता नहीं था वह राजधानी का निर्माण पूर्ण होने में सन् 2055 तक समय संभावना व्यक्त किया गया था

 उसके अलावा इस योजना को बिल्डर के रूप में सम यंत्र के रूप में योजना को एक रूप देने वाले सिंगापुर के कंस्ट्रक्शंस विभाग से जुड़े  शंकरण मैं अपना एग्रीमेंट कैंसिल करते हुए सरकार को लिखित देकर वापस चले जाता है और चले भी गया 

उस स्थिति में पुनः राजधानी का निर्माण सरकार को अगला कदम उठाकर जो निर्णय लिया गया उस पर इस तरह का हाई कोर्ट का जजमेंट आश्चर्यचकित रखा कहते हुए नेताओं ने एक बैठक का दो-तीन दिन में आयोजन पशचात इसको हाइक सुप्रीम कोर्ट में जाने की योजना पर प्रेस को बताया ।

  उन्होंने याद दिलाया कि केंद्र ने अमरावती को राजधानी के रूप में विकसित किया था तो एक भी पक्का मकान नहीं बनाया एक भी पक्का सड़क बनाया ना डबल रोड भी नहीं बनाया राजधानी घोषित होने के बाद भी बाढ़ आ चुकी है कमर भर पानी में लोग करते हुए कार्यालय जाते थे यह भी याद दिलाया कि जिम शेट्टी वेंकटेश्वर राव ने